फर्जी जमानत कराने वाले गैंग में असली गुनहगार कौन ?

 


गैंग के खुलासे के बाद कोर्ट मुंशी की भूमिका पर उठ रहे कई सुलगते सवाल


गैंगस्टर के आरोपी की फर्जी कागजातों पर जमानत कराने का मामला


मुजफ्फरनगर। न्यायपालिका से न्याय की आस रहती है। यदि जालसाजों का गैंग न्यायपालिका में ही फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग करने में कामयाब हो जाए, तो इससे गंभीर विषय कोई नहीं हो सकता। मुजफ्फरनगर में भी ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गैंगस्टर एक्ट एवं चोरी के आरोपी की जमानत करा ली गई। इस मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। लेकिन, गैंग का खुलासा होने के बाद भी कई प्रकार के सुलगते सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या इस फर्जीवाड़े में केवल इन्हीं आरोपियों की संलिप्तता थी। कोर्ट मुंशी व पैरोकार की भूमिका के बिना ऐसा संभव कैसे हो गया, यह बात गले के तले उतरती नजर नहीं आ रही है। इस फर्जीवाड़े में पर्दे के पीछे और कौन छिपा है और असली गुनहगारों पर कब कार्रवाई का शिकंजा कसेगा, यह आने वाला समय बताएगा।

 सिविल लाइन थाना पुलिस ने पिछले दिनों खालापार सुजडू रोड निवासी नौशाद उर्फ गंजा को गिरफ्तार किया था। आरोपी ने पूछताछ में खुलासा किया था कि उसने सहारनपुर जनपद के थाना देवबंद क्षेत्र के गांव तल्हेड़ी चुंगी निवासी फिरोज की गैंगस्टर एक्ट व चोरी के मामले में जमानत कराई थी, जिसमें फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग किया गया था। आरोपियों ने खुद ही पुलिस एवं लेखपाल की रिपोर्ट भी लगा दी थी। इसके अलावा फर्जी मोहरें एवं हस्ताक्षरों का प्रयोग किया गया था। आरोपी से पूछताछ के बाद पुलिस ने अधिवक्ता मसरुर अहमद निवासी मिमलाना रोड रामलीला टीला थाना कोतवाली नगर के अलावा नाम बदलकर झूठी गवाही देने वाले सुनील निवासी गाजावाली कच्ची सड़क थाना सिविल लाइन व पुनीत निवासी बेहडा अस्सा थाना सिखेड़ा हाल निवासी अंकित विहार पचैंडा रोड थाना नई मंडी मुजफ्फरनगर को गिरफ्तार किया था।

गवाही के लिए पुनीत बीजा व सुनील बना था गय्यूर

गैंगस्टर के आरोपी की जमानत कराने के लिए आरोपियों ने शातिराना दिमाग का प्रयोग किया था। आरोपियों ने दो अधिवक्ताओं से संपर्क किया था, जिसके बाद फर्जी जमानती बनाए गए थे। आरोपियों में पुनीत ने बीजा व सुनील ने गय्यूर बनकर गवाही दी थी। फर्जी दस्तावेजों पर जमानत कराने के बाद जब खुलासा हुआ, तो हड़कंप मच गया था। इसके बाद आनन—फानन में मुकदमा दर्ज करने के साथ ही आरोपियों की तलाश शुरू की गई थी।


...तो क्या थाने के बजाय आरोपियों को दिए तस्दीक के कागज ?

वैसे तो किसी भी आरोपी की जमानत के लिए संबंधित थाने को कोर्ट द्वारा दस्तावेज भेजे जाते हैं और उनका सत्यापन कराया जाता है। इसके बाद ही जमानत दी जाती है। लेकिन, इस पूरे फर्जीवाड़े में आपसी गठजोड़ ऐसा था कि कब और किसने तस्दीक कर दी, कुछ पता ही नहीं चला। कहा जा रहा है कि चरथावल थाना, शहर कोतवाली या फिर देवबंद थाने को तस्दीक के कागजात नहीं भेजे गए थे। आरोपियों ने फर्जी मोहरें एवं खुद हस्ताक्षर कर रिपोर्ट तैयार की थी। सवाल उठता है कि आखिर कोर्ट से तस्दीक के लिए कागजात आरोपियों तक कैसे पहुंचे और उन्हें फिर कोर्ट में प्रस्तुत भी कर दिया गया।


सवाल: कहां बनी फर्जी मोहर, कब होगी बरामदगी

आरोपी मसरूर, सुनील व पुनीत की गिरफ्तारी के बाद पुलिस की ओर से जारी​ किए गए प्रेस नोट में फर्जी दस्तावेज अथवा मोहरों की बरामदगी का कोई जिक्र नहीं है। जबकि आरोपियों से पूछताछ के बाद यह बात सामने आ चुकी है कि फर्जी दस्तावेजों के साथ फर्जी मोहरों का प्रयोग किया गया। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर वे फर्जी मोहर कहां हैं ? उन्हें आरोपियों ने किससे और किस जगह पर तैयार कराया था ? उनकी बरामदगी कब होगी ? साथ ही, फर्जी मोहर तैयार करने वाला कब सलाखों के पीछे भेजा जाएगा।

सवाल: क्या कोर्ट के मुंशी पर भी होगी कार्रवाई ?

किसी भी आरोपी की फर्जी दस्तावेजों पर जमानत कराना कोई मामूली बात नहीं है। भले ही आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद थाने की मोहरें फर्जी बनवाने की बात सामने आई हो, लेकिन कोर्ट के मुंशी को इसकी भनक तक न लगें, यह सवालों को जन्म दे रहा है। बताया जाता है कि कोर्ट में तस्दीक के बाद बाकायदा रजिस्टर में जमानतनामे को दर्ज किया जाता है। आरोपियों ने गवाही के दौरान अपने नाम परिवर्तन किए थे, तो उनके आधार कार्ड में उम्र के अनुसार क्यों नहीं देखा गया। इस फर्जीवाड़े में कोर्ट के मुंशी की भूमिका की जांच किए जाने की बात कही जा रही है, लेकिन कार्रवाई कब होगी, यह कहना मुश्किल है।

बार संघ अध्यक्ष बोले, फर्जीवाड़े में कोर्ट का बाबू इंवॉल्व

मुजफ्फरनगर जिला बार संघ के अध्यक्ष प्रमोद त्यागी ने कहा है कि वकील का प्रोफेशन ऐसा है कि क्लाइंट जमानती लेकर आता है। वकील के पास ऐसा कोई पैमाना नहीं कि वो असली है या नकली। वकील तो आधार कार्ड के आधार पर ही कहेंगे कि इस आईडी वाले ने मेरे सामने हस्ताक्षर किए या अंगूठा लगाया है। अब वो आईडी फर्जी है या असली है, उसका वकील कहां से पैमाना कर सकता है। जब हमने पूछा कि तस्दीक़ जो होती है, वो थाने से भी होती है और तहसील से भी तो प्रमोद त्यागी ने आगे कहा कि थाने और तहसील से फर्जी कराई गई, जबकि ये संभव नहीं है कि फर्जी हो जाए। तहसील से तो फर्जी ला ही नहीं सकता। तहसील से कानूनन चढ़ कर आयेगी। तहसीलदार के रजिस्टर से तहसील का कर्मचारी अदालत में लेकर आयेगा। इसमें सौ प्रतिशत अदालत का बाबू इंवॉल्व है। इस प्रकरण में थाने के कर्मचारी व तहसील के कर्मचारी भी पक्का इंवॉल्व है। अगर थाने से फर्जी करा भी ले तो तहसील से बगैर चढ़े आई नहीं सकती। अगर बगैर चढ़े आई तो बाबू ने कैसे रिसीव कर ली। तहसील से तहसील का कर्मचारी लाता है, अगर दूसरे जिले की तहसील है तो डाक से आ सकती है। अपने जिले की तहसील है तो  तहसील का कर्मचारी ही लायेगा। जब हमने पूछा कि इसमें आप किसी गलती मानते हैं तो उन्होंने कहा कि अदालत के बाबू की सौ प्रतिशत गलती है।

वरिष्ठ अधिवक्ता हाजी मुनव्वर इन्होंने कहा....... 

मेरा कथन है कि हमारे जिला बार संघ में जांच करवाकर तथा इस प्रकरण में हमारे जिला बार संघ अध्यक्ष महासचिव द्वारा की गई जांच को संज्ञान में लेकर ही किसी वकील को प्रताड़ित करने का प्रयास जिला प्रशासन को करना चाहिए था अधिवक्ता कभी कोई गलत कार्य नहीं करता है और ना ही गलत व्यक्तियों का साथ देता है उक्त प्रकरण से अधिवक्ताओं के खिलाफ किसी साजिश की बु आ रही है हम अपने अधिवक्ताओं वह जिला बरसंघ अध्यक्ष महासचिव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े है। 


सीओ सिटी ने कहा....

जब हमने सीओ सिटी से पूछा कि थाने की मोहर फर्जी लगाई गई है क्या मोहर बरामद की गयी उन्होंने कहा कि थाने की मोहर के साथ साथ प्रधान की मोहर भी फर्जी थी जिसकी जांच चल रही है व मोहर कहा है किस से बनवाई गई है उसके लिए जांच की जा रही है,जब हमने पूछा इसमें कौन कौन लोग शामिल है तो सीओ ने कहा हो सकता है इसमें कोर्ट के लोग भी शामिल हो उसके ऊपर भी जांच की जा रही है हो सकता है पैरोकार, व कोर्ट मोहर्रिर है उनका भी रोल हो या ना भी हो ये जांच का विषय है , जब हमने पूछा इन्होंने इतना दिमाग कैसे लगाया सब चीजें फर्जी बना दी तो सीओ ने कहा कि इन लोगो को लगता था कि ये पकड़ा नही जायेगा कमाई का अच्छा साधन है लेकिन आपको देखना में लग रहा होगा ये छोटा काम है लेकिन बहुत बड़ा काम चल रहा था इनके ऊपर शिकंजा कसा गया है आगे और भी लोग पकड़े जाएंगे अभी तीन लोग पकड़े गए हैं एक वकील और है उसकी जांच की जा रही है आगे भी जांच जारी रहेगी, कितनी मोहर थी कहा से बनवाई किसने लगाई सब की जांच की जायेगी जो भी दोषी होगा उसको बक्शा नहीं जाएगा।

  व्योम बिंदल क्षेत्राधिकारी